...

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भूल जाना ही बेहतर है । – Updated
कहनी थी बहुत सी बाते
पर दिल ने इनकार किया..
दर्द बहुत छुपा रखा था
पर आज जुबां का, खुल जाना ही बेहतर है।


तेरी मोहब्बत, तेरी हर याद को
साथ में की थी रब से, हर उस फरियाद को
तुझसे हुई हर एक मुलाकात को,
भूल जाना ही बेहतर है.......।।


छोड़कर तेरी गलियों को
अनजान भीड़ में, घुल जाना ही बेहतर है..
दिल में जो तेरा प्यार था,
तुमसे जुड़े हर जज़्बात को
भूल जाना ही बेहतर है.....।


यूं तेरा मेरी बातों पर हंसना मुझे बेहद भाता था।
मेरी नकल करके मुझे चिढ़ाना मुझे रास आता था
यूं तो आज भी मुस्कुरा देता हुं कुछ पल के लिए उन लम्हों को याद करके,
पर उन मोहब्बत के रंगो का दिल से धुल जाना ही बेहतर है।


अब और नहीं, तुमसे मिली हर उस सौगात को
भूल जाना ही बेहतर है.....।।


याद है मुझे जो वादे किए थे मिलकर
तुम कहते ते साथ रहेंगे हम ताउम्र
हाथों में हाथ लेकर कही थी उस बात को
भूल जाना ही बेहतर है..


पता नही अब प्यार से दर्द है या दर्द से प्यार है।।
जिंदा तो हैं हम पर ये दिल बेजान है..
तुमने दिया था जो उस गुलाब को
और खुशबू सी उस ख्वाबों वाली रात को
भूल जाना ही बेहतर है
भूल जाना ही बेहतर है।।

© Abhi