कोई ख्बाबो में मुझे आने देगा
कोई मेरी आखों में ख्बाबों को जगाने देगा,
पूछना था कि कोई ख्बाब में आने देगा ,
फिर वही नीद वही रात वही सन्नाटा ,
ऐसी रातों में खंडहर मुझकों सिराना देगा,
ख्बाब आते नहीं है इसमें भला मेरी खता क्या,
ख्बाब से कहो नींद तो आने देगा ।
जी वही पेड़, वही फूल, मकां से लगें,
फूल से पूछता हूँ, खुशबुएं आने देगा।
मेरा...
पूछना था कि कोई ख्बाब में आने देगा ,
फिर वही नीद वही रात वही सन्नाटा ,
ऐसी रातों में खंडहर मुझकों सिराना देगा,
ख्बाब आते नहीं है इसमें भला मेरी खता क्या,
ख्बाब से कहो नींद तो आने देगा ।
जी वही पेड़, वही फूल, मकां से लगें,
फूल से पूछता हूँ, खुशबुएं आने देगा।
मेरा...