...

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आखिर तुझमें मेरा क्या है
आख़िर क्या है तुझमें जो सबमें नहीं, तुम मुझे याद क्यों आती हो, क्यों मेरे ख्यालों में रात भर चलती रहती हो, क्यों में तेरे बैगर रह नही पाता, क्यों तेरी यादें मेरी करवटें बदलते रहती है
क्यों तेरी बाते मेरे तकिए गिला करती हैं, क्यो तुम मुझमें हो, में तुम्हे भूल क्यों नहीं पा रहा, मैं तुम्हारे किसी भी हिस्से में नहीं हूं, फिर तुम क्यों मेरे रोम रोम में बसी हो..?
आख़िर तुझमें मेरा हैं ही क्या, तुम्हारे दिए हर चीज़ को मिटा दिया है ,
फिर क्यों तुम्हे देखने को जी करता है
सप्ताह में 1-2 बार बात कर लो, promise करता हूं धीरे धीरे भूल जाऊंगा,
तुम्हारी यादें एक ड्रग्स की तरह है, जो इतनी आसानी से नही जायेगी, माना ये मेरी गलतफायमी है लेकिन जो भी है वो सच्चा है
मैं तुमसे पहले भी प्यार करता था अब भी करता हुं, और हमेशा करता रहूंगा,
लेकिन हां तुम्हे भूलने का पूरा कोशिश करूंगा,
सही कहते है लोग मोहब्बत एक कैंसर की तरह हैं, जिसका कोई इलाज ही नही,
मैं तुम्हारे सारे शिकवे को भुला चुका हूं, एक तुम ही हो जो मेरे जहां से जाती नहीं,
क्यों तुम्हारी गर्दन के तिल नही भूलता,
क्यों तुम्हारी होठों के मुस्कान नही भूलता ।
क्यों तुम्हारी बातें याद आती है,
आखिर तुझमें ऐसा है ही क्या मेरा...?
बस एक बार कॉल करो please ....
Please ek baar tumse baat Karni hai ,
© Amrit yadav