दर दर भटकता रहा
डर डर भटकता रहा तू इश्क़ की चाह मे।
एक बार आईने मे खुद को देख लेता,
खुद से मोहबत्त करना सीख लेता,
तो यूँ ना भटकता अनचाही रह मे,
दर दर भटकता रहा तू इश्क़ की चाह मे।
खुशियाँ खरीदने...
एक बार आईने मे खुद को देख लेता,
खुद से मोहबत्त करना सीख लेता,
तो यूँ ना भटकता अनचाही रह मे,
दर दर भटकता रहा तू इश्क़ की चाह मे।
खुशियाँ खरीदने...