मेरा गांव
किन लफ्जों में करूं बयान में ,
प्यारी बचपन की वो यादें ,
भूले से भी न भूली मैं ,
खट्टी - मीठी सी वो बातें,
खेतों से खलिहानों तक है,
फूल, वृक्ष, बागानों तक है,
यादों की सीमा ना कोई,
पर्वत से आसमानों तक है ,
खुशबू जो थी उस मिट्टी की ,
दिल को अब भी लुभाती है,
बरसों बीते ,अब भी दिल को,
गांव...
प्यारी बचपन की वो यादें ,
भूले से भी न भूली मैं ,
खट्टी - मीठी सी वो बातें,
खेतों से खलिहानों तक है,
फूल, वृक्ष, बागानों तक है,
यादों की सीमा ना कोई,
पर्वत से आसमानों तक है ,
खुशबू जो थी उस मिट्टी की ,
दिल को अब भी लुभाती है,
बरसों बीते ,अब भी दिल को,
गांव...