उसकी हर अदा में
मुहब्बत से लबरेज़ उसकी हर अदा में, अदावत नज़र आती है,
वो बोलती नहीं, पर उसकी चुप्पी में भी बग़ावत नज़र आती है,
वो अपने रक़ीब को भी, बड़ी मुहब्बत से क़त्ल किया करते हैं,
न कहो क़ातिल, हमें इसमें भी उनकी सख़ावत नज़र आती है।
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वो बोलती नहीं, पर उसकी चुप्पी में भी बग़ावत नज़र आती है,
वो अपने रक़ीब को भी, बड़ी मुहब्बत से क़त्ल किया करते हैं,
न कहो क़ातिल, हमें इसमें भी उनकी सख़ावत नज़र आती है।
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