मेरा मकान होता
ख़ूबसूरत किसी पहाड़ पर
गर मेरा भी मकान होता
खिलता चॉंद छत पर मेरी
आँगन में सितारों भरा आसमान होता
भेज खिड़कियों से गुनगुनी धूप
हर सुबहा सूरज मुझे जगाता
मिट जाती दिन भर की थकन
नर्म चॉंदनी से जब...
गर मेरा भी मकान होता
खिलता चॉंद छत पर मेरी
आँगन में सितारों भरा आसमान होता
भेज खिड़कियों से गुनगुनी धूप
हर सुबहा सूरज मुझे जगाता
मिट जाती दिन भर की थकन
नर्म चॉंदनी से जब...