...

7 views

प्रकृति का उपहार
एक दिन मुझसे एक शुभचिंतक ने कहा
क्यों लगा रखा है इस बाँझ पौधे को
जो फूल तो दे रहा है पर फल नहीं
उखाड़ कर फेंक दो और कुछ नया रोपो

सुनकर उसकी बात मेरा मन आहत हुआ
तो मैंने जवाब दिया .....
तो क्या हुआ जो ये फल नहीं दे रहा
तनिक इसके सुदृढ़ तने को तो देखो
देखो इसकी हरी भरी चिकनी पत्तियों को
और इसके सुन्दर बैंगनी रंग के फूलों को
फिर महसूस करो
इसके भीतर मौजूद जीवन को

पर उपयोग ही क्या है इसका ?
मित्र का ये प्रश्न हुआ

हाँ ये सही पूछा तुमने मित्र
चलो तुम्हें इसके उपयोग बताऊँ
इसकी जड़ों ने थाम रखा है मिट्टी को
और टहनियां सहारा दे रही हैं
बगल में उगती लताओं के रेशो को
इसकी घनी पत्तियाँ छाँव किये हुए हैं
किसी बुज़ुर्ग की भाँति
नव अंकुरित पौधों पर
और इसकी हरियाली
नयनों को और मन को
कैसी ठण्डक दे रही है
क्या इतना सहयोग कम है
पर्यावरण में इस ' बाँझ पौधे ' का
बोलो तो .....
फिर क्यों इस जीवित पौधे की हत्या की जाए

उस मित्र की निगाहें शर्म से झुक गईं
और ज़ुबान खामोश हो गई

कुछ ही दिन बाद मैंने देखा
उस पौधे के फूल गदराए हुए
सुडौल आकार धारण किये हुए थे
उन्हें देख मेरे मन में
सुखद समाचार मिलने का अंदेशा हुआ
ज़रा क़रीब से देखा तो सच में .......
वह फूल अपनी गोद में
नन्हें से फल को सँजोये हुए था
ठीक वैसे ही जैसे कोई माँ
उदर में शिशु को सहेज कर पालती है

वो ही नहीं अन्य पुष्प भी
भरे पूरे आकार से गौरान्वित हो कर
मन्द मन्द मुस्कुरा रहे थे
सूचना दे रहे थे उस पौधे के परिपूर्ण हो कर
नवजीवन को जन्म देने की

मैंने हर्षित होकर उनसे सम्वाद किया
यदि तुम फल न भी देते तो भी
मैं तुम्हें कदापि नहीं उजाड़ती
तुम सृष्टि का एक अंग हो
प्रकृति का सुन्दर उपहार हो
मैं यूँ ही तुम्हारे सौंदर्य को निहारती
यूँ ही तुम्हारे सौंदर्य को निहारती ......

              पूनम अग्रवाल





© All Rights Reserved