...

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सिंधु
ओ ! विस्तृत अंतहीन शांत सिंधु
ले चल मुझे शांति की ओर
नील जल प्रवाह संघ विशाल सिंधु
ओ! भयावह तरंगधार सिंधु
तोड़ गर्व बाधित शैल का ,
गर्जना कर तु व्याकुल सिंधु
ओ! अथक चाल अडिग सिंधु
पग पग बढ़ पग भरते तु
विराज विजयी पताका तु पावन सिंधु
ओ! अमर तू गंभीर हृदय सिंधु
भर रक्त -रक्त अमृत तू
बनू मैं भी तेरे सम सिंधु
ओ!....


© Amit