...

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तन्हाई
इस तन्हाई में चाँद को पास बुला कर लाते हैं,
चलो रात को आज दिल का हर हाल सुनाते हैं,
तन्हा और खामोश पड़ी हुई है आज रात भी,
हम भी चलो आसमान से गुफ़्तुगू कर आते हैं।

टिमटिमाते इन तारों को अपनी नज्में सुनाते हैं,
उसके बेवफाई की हर एक दास्तान को बताते हैं,
इन खामोशियों को हम अपने आज गले लगाते हैं,
चलो चाँद से थोड़ा सा सुकून मांग कर लाते हैं।

चलो आज आसमान से गुफ़्तुगू कर के आते हैं,
खुदके साथ आज रात के चाँद को भी जगाते हैं,
आसमान को आज हम अपना दोस्त नया बनाते हैं,
और इन जागी पलको के लिए नींद मांग कर लाते हैं।।
©हेमा