तेरी-मौत, तेरी जुदाई….
कोई खबर के साथ में
अब बे-ख़बर बन गया ।
कोई क़बरस्तान में आकर
अब कब्र बन गया ।
जिसके साथ थी यादें
वो यादगार बन गया ।
जिससे पहचान थी मेरी
वो बेऐतबार बन गया ।
बिना उसके अब यहाँ
कोई अपना लगता नहीं,
जब से वो गया है छोड़कर
दिल लगता नहीं…
आई नहीं कोई चिट्ठी
और ना मिला कोई संदेश,
जो बफा के काबिल था
आज...
अब बे-ख़बर बन गया ।
कोई क़बरस्तान में आकर
अब कब्र बन गया ।
जिसके साथ थी यादें
वो यादगार बन गया ।
जिससे पहचान थी मेरी
वो बेऐतबार बन गया ।
बिना उसके अब यहाँ
कोई अपना लगता नहीं,
जब से वो गया है छोड़कर
दिल लगता नहीं…
आई नहीं कोई चिट्ठी
और ना मिला कोई संदेश,
जो बफा के काबिल था
आज...