अपराध
#अपराध
मन मौन व्रत धारण कर अपराध करता है
छूप कर यह आघात करता है।
व्यंग पर भी गंभीरता से प्रहार करता है
मन मौन धारण कर यह शब्दों के शूल चुभोता है।
हर अपराध के लिए शुद्ध विचारों से मंथन कर
फिर उन पर अंकुश लगाता है
© पूर्णिमा मंडल अनकहे एहसास
मन मौन व्रत धारण कर अपराध करता है
छूप कर यह आघात करता है।
व्यंग पर भी गंभीरता से प्रहार करता है
मन मौन धारण कर यह शब्दों के शूल चुभोता है।
हर अपराध के लिए शुद्ध विचारों से मंथन कर
फिर उन पर अंकुश लगाता है
© पूर्णिमा मंडल अनकहे एहसास