...

2 views

नववर्ष पर आधारित काव्य
रनवीर हरबार दिसंबर कुछ यूंही
याद दिला रहा था मुझको,
जाते जाते विदा कह रहा था और,
काफी बाते याद दिला रहा था वो॥

कुछ शांत तो कुछ तूफान सी,
जिंदगी चल रही थी ऐसे जैसे
किसी नदी के धारा प्रवाह सी,
कभी वह रुकती थी महीनो में,
तो कभी गुजरती थी सालो में!
जिंदगी यूंही चल रही थी अपनी,
सुबह- शाम की पूजा और अजानो में॥

रनवीर हरबार दिसंबर कुछ यूंही
याद दिला रहा था मुझको,
जाते जाते विदा कह रहा था और,
काफी बाते याद दिला रहा था वो॥

कि जिंदगी एक सफर है ट्रेन का,
जाते जाते बता रहा था वो।
जिंदगी का एक और साल भी गुजर गया,
कुछ ऐसा आभास दिला रहा था वो॥
फिर भी...