बड़ी हुई जो सोच
बड़ी हुई जो सोच
बढ़ने लगी अप्रोच
टेढ़ा मेंढ़ा मत चले
देख आयेगी मोच
बाहर कुछ भी हैं नहीं...
बढ़ने लगी अप्रोच
टेढ़ा मेंढ़ा मत चले
देख आयेगी मोच
बाहर कुछ भी हैं नहीं...