...

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ख्वाबों का सफर
एक समय की बात है यारो,
मानव एक निराला था,
ठानी थी ,कुछ करने की,
वो तो हिम्मत वाला था ,

निकल पड़ा तलास- ऐ - सुकून वो,
मीलों की यह दूरी थी,
ना जाने क्यों इतनी मेहनत,
उसकी क्या मजबूरी थी?

बहुत तलाशा, तब जा करके,
ढूंढी जमीं अनोखी थी,
घर बसाना था उसको तो,
और करनी खेती थी,

बंजर भूमि,खोदी उसने ,
रंग...