मेरा चांद
26.11.2023
#मेराचांद
छू लेने को, चांद की ख्वाहिश
'मन' बचपन में, घिर आयी फिर
मां ने जैसे, सीढ़ी लगाकर
प्यास बुझाई, कैसे आएगी फिर ।
क्या जानू, मै खेल खिलौने
अंखियों को मेरी, है भाया शशि
हाथ बढ़ाकर, इसको छूना ही मैने
लालसा दिल की, हर दिन बढ़ी ।
रोज़...
#मेराचांद
छू लेने को, चांद की ख्वाहिश
'मन' बचपन में, घिर आयी फिर
मां ने जैसे, सीढ़ी लगाकर
प्यास बुझाई, कैसे आएगी फिर ।
क्या जानू, मै खेल खिलौने
अंखियों को मेरी, है भाया शशि
हाथ बढ़ाकर, इसको छूना ही मैने
लालसा दिल की, हर दिन बढ़ी ।
रोज़...