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हास्य व्यंग

© Nand Gopal Agnihotri
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शेखचिल्ली का मन ऊबा जब,
पड़ा था बिल्कुल अकेला।
साथ छोड़ गये संगी-साथी,
पास नहीं था धेला।
सोचा त्वरित कमाई का,
कोई गुर अपनाता हूं।
सीधे बन कर काम न होगा,
दादागिरी दिखाता हूं।
लिया हाथ में...