...

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तुम सच में हो बहुत खास मेरे
सुनो न
तुम न सच में हो बहुत खास मेरे
नहीं है तुम जैसा कोई भी पास मेरे।
दूर रहतें हैं मुझ्से अब सारे गम मेरे
जब से आये हो तुम दिल को रास मेरे।
सुनो न
तुम न सच में हो बहुत खास मेरे
न तुमसे मैं कोई बात बताती हूँ
और न तुम्हें कभी कोई किस्सा सुनाती हूँ
फिर भी मेरी आँखो से पढ़ लेते हो तुम खामोश से अल्फ़ाज मेरे।
सुनो न
तुम न सच में हो बहुत खास मेरे
कभी मेरी यादों में खोये रहते हो
तो कभी मेरी नींदों में तुम सोये रहते हो कभी सिमटे रहते हो
तुम बनकर मुझसे एहसास मेरे।
सुनो न
तुम न सच में हो बहुत खास मेरे
तुम मेरा आयना नहीं हकीक़त बनना
तुम मेरा आयना नहीं हकीक़त बनना
खयालों में हर पल तुम ही रहते हो
आते हो हर रोज तुम ख्व़ाब में मेरे
सुनो न
तुम न सच में हो बहुत खास मेरे।