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मानसिक और वास्तविक दिव्यांग - एक व्यंग्य 😞😞
मानसिक और वास्तविक दिव्यांग - एक व्यंग्य 😞😞

हाथ पैरों वालो से ज्यादा मैडल तो दिव्यांग ला रहे हैं !
मानसिक दिव्यांग पहले वाले थे ये दुनिया को बता रहे हैं
करोडो खर्च करने के बाद मैडल हिस्से में बस सात आये
तारीफ़ उनकी जो बादलों को भेद मैडल की बरसात लाये
तुम पिलाते रहना भारत रत्नों जैसे गुटका और थम्स अप
दिव्यांग अपने पुरुषार्थ से विजय गाथा अपने साथ लाये
विजय का हेतु अच्छा बनना नहीं इच्छा का होना होता है
खेल में रजत लाने का दम नहीं बस नौटंकी रोना होता है
बनो नीरज कोहली सानिया विश्वनाथन किसने रोका है
असल में न तुम्हारे बस का कुछ था और न कुछ होता है
जन गण मन गूंजे इसके लिए खुदको भूलना पड़ता है !
धन मोह झूठी प्रसिद्धि से परे परिश्रम पर झूलना पड़ता है
रोना गाना गुटखा थम्स अप कॉम्प्लान सब चुतियापा है
गोल्ड लाने हेतु पुरुषार्थ को गोल्ड सा गलाया जाता है

मानसिक दिव्यांगों लौटकर माँ के आँचल में छुप जाना
और हाँ जब बाहर निकलना तो बेशर्म ढीठ बन जाना !

© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻