.... परिंदे की उड़ान....🕊️❤️
आस्मां की तस्वीर जो जहन में बसाए रखता था कभी ,
अब खुले आसमान में भी वो परिंदा हताश क्यों है..?
उसने तो ऊंची उड़ान का सपना देखा था न ,
फिर अब वो परिंदा इतना निराश क्यों है..?
कैद में जो सोचा करता था कि उडूंगा मैं भी एक दिन खुले आसमान में ,
पर अब वो अपने पंख समेटकर क्यों बैठा है..?
हौंसला उसका बुलंदी छूता था कभी ,
फिर अब वो गमों को सहेजकर...
अब खुले आसमान में भी वो परिंदा हताश क्यों है..?
उसने तो ऊंची उड़ान का सपना देखा था न ,
फिर अब वो परिंदा इतना निराश क्यों है..?
कैद में जो सोचा करता था कि उडूंगा मैं भी एक दिन खुले आसमान में ,
पर अब वो अपने पंख समेटकर क्यों बैठा है..?
हौंसला उसका बुलंदी छूता था कभी ,
फिर अब वो गमों को सहेजकर...