...

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जून
#जून
चार जून की बात है,
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु
किसकी इतनी शाख हैं?

किस जंग का आगाज़ छिपाए
बेठा है ये काल रे।
क्या कहने को आतुर उमंग के
झोंके पे सवार है।

ये हल्कि, हल्कि...