बे़खुदी....💔
#SymbolicSaga
गलतफहमी का ज़हर कोई ऐसा उतरा ज़हन मैं
सारी यादे खाक हो गयी ज़लते बाजारों में,
रोज चलती हु नंगे पैर उन तेरे लब्जों के अंगारे पर,
फिर भी ना दिखी मासूमियत मेरी झलकते चिंगारे पर।
किसी दिन इस दुनिया से रूठकर अपना गांँव बसा लूंँगी,
ढूंँढते रह जाओगे भरी आँखों के साथ हर गली चौराहे पर।
तड़़प मेरी बता संँकू ऐसा कोई लब्ज़ नही,
ख़फा ना होगे तुम क्या ऐसी कोई ख़ता नही?
गुस्सा देखा मैंने ..तेरा बस यही है या है और कोई चेहरा?
या में हु बेवकूफ ..बचा रही हु अपना बसेरा।
कफ़न के बाहर खड़ी हु रिश्ता लेकर हाँथों मैं
रियासतों की रानी में बिखर रही श़मशान में।
© Hayati
गलतफहमी का ज़हर कोई ऐसा उतरा ज़हन मैं
सारी यादे खाक हो गयी ज़लते बाजारों में,
रोज चलती हु नंगे पैर उन तेरे लब्जों के अंगारे पर,
फिर भी ना दिखी मासूमियत मेरी झलकते चिंगारे पर।
किसी दिन इस दुनिया से रूठकर अपना गांँव बसा लूंँगी,
ढूंँढते रह जाओगे भरी आँखों के साथ हर गली चौराहे पर।
तड़़प मेरी बता संँकू ऐसा कोई लब्ज़ नही,
ख़फा ना होगे तुम क्या ऐसी कोई ख़ता नही?
गुस्सा देखा मैंने ..तेरा बस यही है या है और कोई चेहरा?
या में हु बेवकूफ ..बचा रही हु अपना बसेरा।
कफ़न के बाहर खड़ी हु रिश्ता लेकर हाँथों मैं
रियासतों की रानी में बिखर रही श़मशान में।
© Hayati