...

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दिल के ज़ख्म
#दिल#के#ज़ख्म
आज फिर एक बार
दिल के ज़ख्म ताज़ा हो गए,
आज फिर एक बार दर्द के
उस दलदल में उतर गए,
दबा रखा था जो दर्द का
मंज़र अपने अंदर,
निकल गया वो आज फिर एक बार
बाहर ज्वाला बनकर,
आज फिर एक बार इन आँखों ने
टप-टप नीर बहाया,
मेरी रूह को फिर एक बार
दर्द ने इस क़द्र तड़पाया,
आज फिर एक बार मन की बात
जुबां पर आ गई,
और दर्द को सहने की दास्तां
फिर से सुना गई ,
आज फिर एक बार दिल
ने दर्द को इतना करीब पाया,
और आज फिर एक बार
दिल के ज़ख्म ताज़ा हो गए।।।
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