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हम्हीं गलत।
किसने कहा गलती सिर्फ तुम्हारी है?
गलती सिर्फ तुम्हारी नहीं,
हम बराबर के साझेदार हैं।
तो सजा केवल तुम्हें क्यूँ?
उसमे हम भी भागीदार हैं।
पर यूँ कहो कि गलत तो सिर्फ तुम थी,
तो इस बात से भी हमारा इंकार है।
चलो छोड़ों अब क्या लड़ना बीती बातों पर,
मान लिया गलती सिर्फ़ हमारी थी..
हम ही गुनहगार हैं।
गलती भी यही की भरोसा किया तो भी तुम पर,
अब उस भरोसे को जीवित रखना बेकार है।
हाँ, नहीं इन्कार है किसी चीज से अब,
अपनी हर गलती हमें स्वीकार है।
© Vaishnavi Singh
#galati #hamhigalat #poem #hindilines
#poemoftheday #vaishnavisingh
गलती सिर्फ तुम्हारी नहीं,
हम बराबर के साझेदार हैं।
तो सजा केवल तुम्हें क्यूँ?
उसमे हम भी भागीदार हैं।
पर यूँ कहो कि गलत तो सिर्फ तुम थी,
तो इस बात से भी हमारा इंकार है।
चलो छोड़ों अब क्या लड़ना बीती बातों पर,
मान लिया गलती सिर्फ़ हमारी थी..
हम ही गुनहगार हैं।
गलती भी यही की भरोसा किया तो भी तुम पर,
अब उस भरोसे को जीवित रखना बेकार है।
हाँ, नहीं इन्कार है किसी चीज से अब,
अपनी हर गलती हमें स्वीकार है।
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