कुछ अल्फाज तुम्हारे लिए....
शमां का चादनी से तवार्रुफ़ कराने में हर रात जला हूँ मैं..
परवाना हूँ हर महफ़िल का एक अनसुना किस्सा हूँ मैं....
निकाल फेका है किताब से तस्वीरों को तेरी...
आगे आने वाली कहानी से अब बेखबर नहीं हूँ मैं....
मै लिख तो दू हमारी सारी बातें..
तुम रोओगे नहीं, पहले ये वादा तो करो..
हर रोज इस कदर तोड़ते हैं मुझे हालात मेरे..
मेरे हौसलों का कारिगर भी हैरान है..
तुम्हारे रूठने पर तुम्हे मनाने को तैयार हु मैं..
परवाना हु हर महफ़िल का एक अनसुना किस्सा हु मैं......!!!
© I'm enough for myself
परवाना हूँ हर महफ़िल का एक अनसुना किस्सा हूँ मैं....
निकाल फेका है किताब से तस्वीरों को तेरी...
आगे आने वाली कहानी से अब बेखबर नहीं हूँ मैं....
मै लिख तो दू हमारी सारी बातें..
तुम रोओगे नहीं, पहले ये वादा तो करो..
हर रोज इस कदर तोड़ते हैं मुझे हालात मेरे..
मेरे हौसलों का कारिगर भी हैरान है..
तुम्हारे रूठने पर तुम्हे मनाने को तैयार हु मैं..
परवाना हु हर महफ़िल का एक अनसुना किस्सा हु मैं......!!!
© I'm enough for myself