अकेले जीना चाहती हूँ......
कभी कोई तो समझ जाया करो मुझे
मेरे अंदर भी बचपना हैं
नहिं हूं समझदार मैं
मैं भी खुलकर जीना चाहती हुँ
खुलकर कर हँसना चाहती हूँ
सब कुछ छोड़कर, कुछ पल...
मेरे अंदर भी बचपना हैं
नहिं हूं समझदार मैं
मैं भी खुलकर जीना चाहती हुँ
खुलकर कर हँसना चाहती हूँ
सब कुछ छोड़कर, कुछ पल...