“𝐈𝐧𝐯𝐢𝐬𝐢𝐛𝐥𝐞 𝐟𝐞𝐞𝐥𝐢𝐧𝐠𝐬”
।।सच की कोई सीमा ना...
पर क्यूं लगती हर बात है झूठी?
।।क्या रह जाऊंगा बंद यूं ही..?
जो हाथों की ज़ंजीर न टूटी।।
।।चाहूं तो इन पन्नो पर ही...
सजा दूं अपने कल को खुदसे।।
।। पर कैसे मैं तकदीर लिखूं..?
मेरी अपनी कलम है मुझसे रूठी।।
© @avivek