...

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मैं एक कविता
अभी चलेंगे मुलाकातों के सिलसिले
शब्दों का काफिला तो बहुत पुराना है

नहीं ख्वाहिश है मशहूर होने की
किसी के मन की राहों में मेरा आशियाना है

मेरी आँखों में पलते हैं जज्बात मेरे
निकल आती है एक कविता जिसे पढ़ता जमाना है

मैं एक कविता हूं तुम्हारे प्रेम की
जिसे कहता,,"नमिता" ये सारा जमाना है!