तस्वीर
मैं काफ़ी अरसे से यूँ मुसलसल तुम्हारे चेहरे को तक रहा हूँ
कि ये जो चेहरा है जैसे रोशन इसी से ऐसा कमाल कर दे
जवाब में मैं कहूँ मोहब्बत
कोई तो ऐसा सवाल कर दे
न जाने क्यों मुझको ये लग रहा है
तुम अपने हाथों को मेरे हाथों में यूँ रखोगी
कि जैसे दुनिया की सब मसर्रत हमारे दामन में ला के रख दी
और फिर हया से झुका...
कि ये जो चेहरा है जैसे रोशन इसी से ऐसा कमाल कर दे
जवाब में मैं कहूँ मोहब्बत
कोई तो ऐसा सवाल कर दे
न जाने क्यों मुझको ये लग रहा है
तुम अपने हाथों को मेरे हाथों में यूँ रखोगी
कि जैसे दुनिया की सब मसर्रत हमारे दामन में ला के रख दी
और फिर हया से झुका...