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पगड़ी
पगड़ी बाप का ताज होती है..
तो
बेटियाँ अपने बाप का मान होती हैं..
पगड़ी पर जमी धूल को एक बाप जैसे साफ़ करता है..
वैसे ही वो अपनी शेरनी की परवरिश करता है..
उसकी गलतियों को माफ करता है..
पगड़ी बादशाह (पापा) की पहचान होती है..
मगर बेटी उस बाप की रूह होती है..
कहने को तो ये सिर्फ़ कपड़ों के ताने बानों से बना एक लिबास है..
मग़र इसमें उसके घर की मान मर्यादा को सब समेटे बैठा है..
कहने को तो यह एक बाप की पगड़ी है, महज एक लिबास है..
मग़र उसके लिए उसका गुरूर है..
उसका वजूद है..
उसकी पूरी दुनिया है..
by क्षमा सैनी 👑😎
© @kshamasaini
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