क्यूँ पूछते हो
अमावस की काली रातों में
उजाला क्यूँ ढूंढते हो
ग़मों की दुनिया में मेरा घर दिलाकर
पता मेरा क्यूँ पूछते हो
बड़ा सकून है इस दो गज जमीन में आकर
चैन से मुझे सोने दो अब
अब मुझसे मेरी तन्हाई का आलम क्यूँ पूछते हो
© Kaushik Talk
उजाला क्यूँ ढूंढते हो
ग़मों की दुनिया में मेरा घर दिलाकर
पता मेरा क्यूँ पूछते हो
बड़ा सकून है इस दो गज जमीन में आकर
चैन से मुझे सोने दो अब
अब मुझसे मेरी तन्हाई का आलम क्यूँ पूछते हो
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