क्यूँ पूछते हो
अमावस की काली रातों में
उजाला क्यूँ ढूंढते हो
ग़मों की दुनिया में मेरा घर दिलाकर ...
उजाला क्यूँ ढूंढते हो
ग़मों की दुनिया में मेरा घर दिलाकर ...