...

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जिंदगी की तलाश करते -करते
जिंदगी की तलाश करते-करते में
अपनी पहचान भुल गई ।
ऐशो आराम की जिंदगी जीते-जीते
अमीर से गरीब बन गई ।
जिंदगी की तलाश करते-करते में
अपनी पहचान भुल गई।
ना दिन और रात को सुकुन मिला
ना खामोश का मोहोल मिला
मेरी जिंदगी विरान-सी रह गई।
जिंदगी की तलाश करते-करते में
अपनी पहचान भुल गई।
ना आंखों में नींद रहा
ना चेहरे पर हंसी
मेरे दिल में गम की छाप छोड़ गई।
जिंदगी की तलाश करते-करते में
अपनी पहचान भुल गई।
"कि मे कोन हूं ।"
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