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गठबंधन
गुड्डे गुड़ियों के खेल की उमर मैं
डाल दिया गया था उसके गले मैं रजनीगंधा का माला
सास-ससुर, देवर-देवरानियो के साथ
बसाना पड़ा था उसे घर सारा
नादानी की झलक अभी जाने मैं देर थी
देर से गुजरने वाला था उसका बचपना
कहानियां सुना करती थी नानी-दादी से
के आकार ले जाएगा अपनी दुनिया मैं उसे एक राजकुमार
पर पारियों की कहानी की तरह हसीन जिंदगी होती कहा है
राजकुमार के महल पहुंच; करवा सच ये राजकुमारी जाने
आसानी से संभालने को मिलता नहीं घर-परिवार
सुन्नी पड़ता है अनेकों कर्वी बातें, सहने पड़ते है अनेकों ताने
कोसी जाती थी वो जब जब
रोया करती थी वो तब तब
अभी उमरी ही क्या थी उसकी;
थी वो कोई कोमल वह नाजुक सी जैसे हो कोई परी
पेच ताल न समझा करती
न उसे रखना आता था अपना खयाल
बड़े की करीने से पाली गई थी
फिर कैसे पाती तकलीफों को संभाल
ऐसे ही हुआ करता है अक्सर
होता है कहानी और जिंदगी मैं काफी फरक
समझा उसने यह बात काफी ठोकरों के बाद
क्या होता है गठबंधन का इस समाज में मतलब।।z

© soumi's_here