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अंजान थे हम.. 🍂🍁
अंजान थे हम, हर रिश्ते को सच्चा माना हमने
कई फ़ूलों की खुशबुओं ने बुलाया हमें,
पर तेरे इत्र को अपनाया हमने,
न आया समझ कि हुई क्या थी खता हमसे ,
ठुकराया हमें जो हमारे रब ने,
जो कहते थे कि,
क़ीमती बड़े ये अश्क है हमारे,
क्यों छोड़ा हमें फिर ग़मों के सहारे,
बिखरे वो ख्वाब जो सजाये थे हमने,
टूट गयी वो प्रेम की माला,
निकला वो जहर का प्याला,
जिसे समझा था सुधा सागर हमने..
© Jyoti Kanaujiya