...

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के बस एक चाहत...
के बस एक चाहत,
मैं बारिश की लेकर
ताउम्र बंजर सा होके जिया।
जिसे सब ने छोड़ा,
सभी ने भुलाया
के उस एक मंज़र सा होके...