...

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Darmiyaa..
कहां से चले थे रहगुजर पर और
कहां आ गए.

कितने लम्हे गुज़र गए.
कितने एहसास जुड़ गए.

फिर भी खामोशियाँ दर्मियाँ .
कुछ भी कह ना पाये.

फिर भी सुन ली बातें दिल की ,ख़ूबसूरत मंज़र में
कुछ भी ना कहो......
Jyotsana Srivastava