भीड़ की कविता
#भीड़कीकविता
भीड़ बहुत है,
अटक सा गया,
आज ज़माना,
एक ख़्याल में,
राह न कोई,
और कहीं सी,...
भीड़ बहुत है,
अटक सा गया,
आज ज़माना,
एक ख़्याल में,
राह न कोई,
और कहीं सी,...