यह जिंदगी क्या थी और कहां चली गई
बेफिक् थे ,, थोड़ा नादान,,मासूमियत से
भरपुर पर एक साधारण सा दिल
सच्चाई मन में,,होठों में मुस्कान बांटते चले गए,,पर क्या मालूम था हाथ लग जाएगी निराशा दुख तकलीफ,,पर फिर भी हार न मानी,,चलते...
भरपुर पर एक साधारण सा दिल
सच्चाई मन में,,होठों में मुस्कान बांटते चले गए,,पर क्या मालूम था हाथ लग जाएगी निराशा दुख तकलीफ,,पर फिर भी हार न मानी,,चलते...