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#परिंदे
#परिंदे
किसी परिंदे के दिये ज़ख्मों को हमने संभाल
रखा है
सबसे छुपा कर हमने एक दर्द को पाल रखा है
उसके दिये फूल तो सूख चुके कबके
इसलिए हमने घर को ही जंगल बना रखा है।

हमने आज कल बाहर आना जाना छोड़ रखा है
बेवजहा हर किसी से बात करना छोड़ रखा है
खुद से ही अब फुर्सत मिलती कहाँ है
हमने उसकी खैर- औ-खबर लेना छोड़ रखा है।

हमने उस बेवफा से बेहतर दुश्मन रखा है
ज़िंदगी से भी हसीन एक ख्वाब रखा है
उजालों से नफरत नही बस
हमने अब याराना काली रातों से रखा है।।



© Nitish Nagar