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/ आदत है तुम्हारी /

दुनिया से हटकर एक अलग राय बनाना आदत है तुम्हारी, अपनी डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाना आदत है तुम्हारी।

भीड़ से तुमको सख़्त नफ़रत है, कारवाँ में तुम नहीं चलते, दुनिया जिस राह से जाए, उस राह से न जाना आदत है तुम्हारी।

दुनिया जो सोचे उससे अलग सोचते हो, ख़ुद को कुछ अलग समझते हो, दुनिया जिसका शोक मनाती है उसकी ख़ुशी मनाना आदत है तुम्हारी।

ख़ुद को सही साबित करने के लिए सबसे बहस करते रहते हो हरदम, किसी और की न सुनना, अपनी बात पर अड़ जाना आदत है तुम्हारी।
© सोनी