इम्तिहानों से गुज़रकर
इम्तिहानों से गुज़रकर,
कभी- कभी बिखर जाते हैं हम,
सपनों के टूटने से ज़रा सहम जाते हैं हम।
क्या कहूँ...
कभी- कभी बिखर जाते हैं हम,
सपनों के टूटने से ज़रा सहम जाते हैं हम।
क्या कहूँ...