...

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चले आओ,,
चले आओ के दिल की वादियाँ आवाज़ देती हैं,
हैं नम़ आँखें भी और ये सिसकियांँ आवाज़ देती हैं!

बहुत मुश्किल गुज़ारा है तुम्हारे बिन ये समझो भी,
बड़ी बेसब्र अब तन्हाइयाँ आवाज़ देती हैं!.

सजाकर जो गये थे इश्क़ के फूलों की तुम क्यारी,
वो फूलों से लदी सब डालियाँ आवाज़ देती हैं!

दिये तोहफ़े में थे मुझकोकभी तुमने मेरे जानाँ,
कहीं रूठी पड़ी वो बालियाँ आवाज़ देती हैं!

तुम्हें भी क्या सताती हैं मेरी यादें 'शिखा' पूछे,
के होंठो की मेरी तो नर्मियाँ आवाज़ देती हैं!

© @दीपशिखा