...

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ज़ख्म
अधूरी सी दास्तां मेरी
दर्द भरी कहानी मेरी
जिसके लिए ताउम्र तरसी
लेकिन ये ज़िंदगी कहाँ समझती

जिनके लिए निगाहें रोज़ बरसी
दिल था नादान ना था वो काबिल
रात तन्हाई में गुज़र जाती...