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तुम
वो कुछ पल भी मोहब्बत के लिए बहुत थे,
गर तुम उतनी ही शिद्दत से हमारी तरह मोहब्बत करते।
वह अनजाने रास्ते भी हमें मंजिल तक पहुंचाते,
गर तुम यूं मंजिल को पाने में उतावलापन ना करते।
वो पाक सी मोहब्बत भी मुकम्मल हो जाती हमारी,
गर तुम भी हमसे सच्ची मोहब्बत करते ।
वो रूह का मिलना भी सुकून दे जाता हमें,
गर तुम रूह में जिस्म को न तलाशा करते।
वो रूठना भी गवारा होता हमें,
गर तुम रूठ के फिर से मान जाया करते ।
वो हर शिकवे -शिकायत भूल जाते हम,
गर तुम हमें समझाने में कसर न छोड़ा करते।
वो अजनबियों सा मिलना हमसे तुम्हारा गवारा होता,
गर तुम हमें कभी अनदेखा ना किया करते।
© Anu
गर तुम उतनी ही शिद्दत से हमारी तरह मोहब्बत करते।
वह अनजाने रास्ते भी हमें मंजिल तक पहुंचाते,
गर तुम यूं मंजिल को पाने में उतावलापन ना करते।
वो पाक सी मोहब्बत भी मुकम्मल हो जाती हमारी,
गर तुम भी हमसे सच्ची मोहब्बत करते ।
वो रूह का मिलना भी सुकून दे जाता हमें,
गर तुम रूह में जिस्म को न तलाशा करते।
वो रूठना भी गवारा होता हमें,
गर तुम रूठ के फिर से मान जाया करते ।
वो हर शिकवे -शिकायत भूल जाते हम,
गर तुम हमें समझाने में कसर न छोड़ा करते।
वो अजनबियों सा मिलना हमसे तुम्हारा गवारा होता,
गर तुम हमें कभी अनदेखा ना किया करते।
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