...

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मजबूरी का सच
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
कहीं पेट की आग में, भूख भी बुरी है।

चुप्पी की आवाज़ सुनो कभी,
हर आह में छिपी कहानी गहरी है;
सपनों की चादर फटी...