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खुदा मुझसे मां की मोहब्बत ना छीने
खुदा मुझसे मां की मोहब्बत ना छीने
अगर छीन ना है जहां छीन ले वो
जमींन छीन ले आसमा छीन ले वो
मेरे सर से बस एक ये छत ना छीने
खुदा मुझसे मां की मोहब्बत ना छीने

अगर मां ना होती ज़मीन पर ना आता
जो आंचल ना होता तो कहा सर छुपाता
मेरा लाल कह कर बुलाती है मुझको
के खुद भूखी रहकर खिलाती है मुझको
ये दामन मेरा चाहे नम कर दे जितना
वो बस आज मुझ पर करम कर दे इतना
जो मुझ पर हुई है इनायत ना छीने
खुदा मुझसे मां की मोहब्बत ना छीने

मुझे पाला पोसा बड़ा कर दिया है
के पैरो पे अपने खड़ा कर दिया है
कभी जब अंधेरों ने मुझ को सताया
तो मां की दुआ ने ही रास्ता दिखाया
इन हाथों की हसीं छीन ले वो
के गम दे दे हर एक खुशी छीन ले वो
यही एक बस मुझसे दौलत न छीने
खुदा मुझसे मां की मोहब्बत ना छीने

अगर मां का सर पर नही हाथ होगा
तो फिर कौन है जो मेरे साथ होगा
कहा मुंह छुपा कर के रोया करूंगा
तो फिर किसकी गोदी में सोया करूंगा
मेरे सामने मां की जान छीन कर के
मेरी खुश नुमा दास्तान छीन कर के
मेरा जोश और मेरी हिम्मत न छीने
खुदा मुझसे मां की मोहब्बत ना छीने


© Farhan Haseeb