...

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शिकायत
चांद को हमसे ये शिकायत है कि
हम उसका दीदार नहीं करते
है कौनसी ऐसी बात जो हम
उसका रुखसार नहीं करते
सुनकर ये शिकायत कहा हमने
अपनी फितरत है कि हम बेवजह
किसीको परेशां नहीं करते
दिन में कभी दिखते नहीं
हाँ रात को आते हो
अब तो घर ही रहते हैं हम
बाहर रात नहीं करते
हाँ दिख जाओ कभी पूनम को
मेरी खिड़की से कभी तुम
आ जाते हैं पहलू में तुम्हारे
फिर ज़माने की परवाह नहीं करते
कर देते हैं बयां तुमसे
अफसाने जहां भर के
कहने पर जो आते हैं तो
बातें दो चार नही करते
चोट खाए बैठे हैं
दिल और जिगर में
अब तो ये आलम है कि हम
दोस्तों पर भी ऐतबार नहीं करते


© Shivani Singh