अनजान राहें
मुझे बहुत कुछ कहना है, बहुत कुछ लिखना है मुझे, दिल में उमड़ते अपने इन जज़्बातों को शब्दों में ढालना हैं मुझे, मेरे दिल में,दिमाग़ में बहुत कुछ भरा हैं, पर मेरे शब्दों ने तो मानों जैसे मेरा साथ ही छोड़ दिया हैं अब, दिल के जज़्बात दिल में ही सिमट कर रह गऐ हैं, उलझी हूँ मैं अपने ख्यालों में,अपनी बातों में, दिल में भी ये मेरे बड़ी उलझन हैं,ख्यालों का जाल हैं, चल रही हूँ मैं जिस...