...

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समझा ज़िन्दगी को तो
ज़िन्दगी से ज़िन्दगी जीने के कई तजुर्बे मिले
कई रिश्ते अपने तो कई अपने पराये से मिले

हर बार चाह मे सकू की इक़ नए ग़म से मिले
उठकर चले जो ग़म से तो इक़ नई राह से मिले

बिखेरा वक़्त ने तो ख़ुद के नए हौसले से मिले
लड़खड़ाए क़दम जो तो खुद से ख़ुद हम मिले

मंज़िल की तलाश मे हर बार नए पड़ाव से मिले
ग़ुजरे उस पड़ाव से तो इक़ नई ज़िन्दगी से मिले

समझा ज़िन्दगी को तो ख़ुद की नासमझी से मिले
ये है शातिर पेशे से हर दफ़ा इसके नए पेशे से मिले।


© अनिल अरोड़ा "अपूर्व "