किस नाम से पुकारू
तुम्हे किस नाम से पुकारू या कहूं
सुंदरता की मूरत...
बेचैनी में है दिल तड़प कोई क्या जाने
देखु तुम्हारी सादगी या तुम्हारी सूरत..
इस दुनिया में मैंने ना देखी तुम्हारी जैसी
सादगी की रूप कोई..
इस जमीन पर तुम् आई, जैसे सर्दी का धूप कोई..
किन् शब्दों में करु तारीफ तुम्हारी
जो रूप तुमने पहना है...
उसमे किसी सिंगार की जरूरत नहीं
तुम्हारी शादगी हि तुम्हारा गहना है...
ना तो मेंने तुम्हे कभी देखा
ना तो तूमसे जुड़ी कोई याद सुहानी...
जाने क्यों तुम लगती हो मुझको
कोई अजनबी जानी पहचानी...
अमृत यादव
© अmrit...
सुंदरता की मूरत...
बेचैनी में है दिल तड़प कोई क्या जाने
देखु तुम्हारी सादगी या तुम्हारी सूरत..
इस दुनिया में मैंने ना देखी तुम्हारी जैसी
सादगी की रूप कोई..
इस जमीन पर तुम् आई, जैसे सर्दी का धूप कोई..
किन् शब्दों में करु तारीफ तुम्हारी
जो रूप तुमने पहना है...
उसमे किसी सिंगार की जरूरत नहीं
तुम्हारी शादगी हि तुम्हारा गहना है...
ना तो मेंने तुम्हे कभी देखा
ना तो तूमसे जुड़ी कोई याद सुहानी...
जाने क्यों तुम लगती हो मुझको
कोई अजनबी जानी पहचानी...
अमृत यादव
© अmrit...